तुर्किये में फिर हिली धरती, मृतकों का आंकड़ा 11 हजार से ज्यादा हुआ, राहत-बचाव जारी

0
226

दिल्ली, २५ माघ । तुर्किये और सीरिया में भूकंप के कहर से मरने वालों का आंकड़ा 11 हजार के पार पहुंच गया है। करीब 50 हजार से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। मृतकों और घायलों की संख्या में लगातार इजाफा जारी है। बड़ी तादात में लोग अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं।  इस बीच, तुर्किये में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, तुर्किये के नूरदगी शहर में ये भूकंप महसूस हुआ है। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 मापी गई है। 

वहीं, भूकंप से आई तबाही के बाद मलबे के नीचे लोगों के जिंदा होने की अभी भी आशंका है। इसको देखते हुए राहत-बचाव का काम भी काफी संभलकर चल रहा है। जो जिंदा हैं, वो मलबों के ढेर में अपनों को तलाश रहे हैं। दिनरात मलबे की खुदाई चल रही है। लोग हाथों से भी मलबा साफ कर रहे हैं। कई जगहों पर रेस्क्यू करने वालों की कमी पड़ गई है। आलम ये है कि मलबे के अंदर से जिंदा लोग चीख रहे हैं, लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है।

वो जिंदा हैं, उन्हें बाहर निकालने वाला कोई नहीं है
सीरिया के अली बट्टल कहते हैं, ‘मेरा पूरा परिवार वहां है। मेरे बेटे, मेरी बेटी, मेरा दामाद … उन्हें बाहर निकालने वाला कोई और नहीं है। उसका चेहरा खून से लथपथ था और सिर ऊनी शॉल में लिपटा हुआ था। उन्होंने कहा, ‘मैं उनकी आवाज सुनता हूं। मुझे पता है कि वे जिंदा हैं, लेकिन उन्हें बचाने वाला कोई नहीं है। सीरियाई स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलेप्पो, लताकिया, हमा और टार्टस के प्रांतों में क्षति की सूचना दी है।  त्रासदी से पहले भी, अलेप्पो में इमारतें जीर्ण-शीर्ण बुनियादी ढांचे के कारण अक्सर ढह जाती थीं।  आंकड़ों के अनुसार, तुर्किये और सीरिया में मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू के काम में करीब एक लाख से ज्यादा लोग जुटे हुए हैं। इसमें अलग-अलग देशों की ट्रेंड टीमें भी शामिल हैं। भारत सरकार ने भी रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की टीम भेजी है। इसी तरह अमेरिका, चीन समेत कई देशों से दोनों देशों को मदद पहुंचाई जा रही है। हालांकि, इसके बावजूद रेस्क्यू टीम कम पड़ गई है। हालात इतने बुरे हैं कि मलबे के अंदर से जिंदा लोग चीख रहे हैं और उन्हें सुनने वाला कोई नहीं है।  

ठंड से ठिठुर रहे लोग, बच्चों की हालत खराब
भूकंप ने हजारों की संख्या में घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। इससे लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इस दौरान तुर्किए और सीरिया में कड़ाके की ठंड ने भी लोगों को मुसीबत में डाल दिया है। लोग सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। ठंड के चलते सबसे ज्यादा बच्चों की हालत खराब हो रही है। 

संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और खाड़ी राज्यों सहित दर्जनों देशों ने तुर्किये और सीरिया को मदद करने का वादा किया है। इन देशों में खोजी दलों के साथ-साथ राहत सामग्री हवाई मार्ग से पहुंचनी शुरू हो गई है। फिर भी कुछ सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने कहा कि उन्हें लगता है कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। तुर्किये के शहर कहरमनमारस में अली सगिरोग्लू कहते हैं, ‘मैं अपने भाई को खंडहर से वापस नहीं ला सकता। मैं अपने भतीजे को वापस नहीं ला सकता। इधर-उधर देखिए… यहां कोई सरकारी अधिकारी नहीं है।’ सगिरोग्लू आगे कहते हैं, ‘दो दिनों से हमने यहां आसपास सरकार को नहीं देखा है…बच्चे ठंड से ठिठुर रहे हैं। सर्दियों के तूफान ने कई सड़कों को उजाड़ दिया है। उनमें से कुछ भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गए।’ तुर्किये के शहर कहरमनमारस में अली सगिरोग्लू कहते हैं, ‘मैं अपने भाई को खंडहर से वापस नहीं ला सकता। मैं अपने भतीजे को वापस नहीं ला सकता। इधर-उधर देखिए… यहां कोई सरकारी अधिकारी नहीं है।’ सगिरोग्लू आगे कहते हैं, ‘दो दिनों से हमने यहां आसपास सरकार को नहीं देखा है…बच्चे ठंड से ठिठुर रहे हैं। सर्दियों के तूफान ने कई सड़कों को उजाड़ दिया है। उनमें से कुछ भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गए।’ 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here