कभी-कभार हार्ट अटैक आने का डर सामान्य है, लेकिन अगर आपको हर पल ये डर सताता है तो आपको कार्डियोफोबिया हो सकता है। कार्डियो का मतलब है दिल से संबंधित और फोबिया का मतलब है डर लगना। फोबिया एक तरह का एंग्जाइटी डिसऑर्डर है। यह आपके दैनिक जीवन में बाधा बन सकता है। आइए जानते हैं कार्डियोफोबिया के लक्षण और इलाज के तरीके।
पहले जान लें, कार्डियोफोबिया में इंसान को क्या होता है?

सीने में दर्द होने पर कार्डियोफोबिया के मरीज को लगता है कि उसे दिल की बीमारी हो गई है।
कार्डियोफोबिया में इंसान को दिल का दौरा पड़ने का डर लगा रहता है। इसके चलते उसका मन किसी और काम में नहीं लगता। इस फोबिया से पीड़ित व्यक्ति के दिल की धड़कन अनियमित होने पर वह और ज्यादा डर जाता है। सीने में या बाहों में दर्द होने पर कार्डियोफोबिया के मरीज को लगता है कि उसे दिल की बीमारी हो गई है।
क्यों होता है कार्डियोफोबिया?
कई वजहों से लोगों को कार्डियोफोबिया हो सकता है। उदाहरण के लिए, किसी परिचित की हार्ट अटैक से मौत के बाद इस फोबिया की शुरुआत हो सकती है। इसके अलावा, बचपन में हुई किसी दुर्घटना के कारण मन में हार्ट अटैक आने का डर बैठ सकता है।
कार्डियोफोबिया के लक्षण
सिर चकराना कार्डियोफोबिया का लक्षण है।
- एंग्जाइटी
- दिल की धड़कन तेज होना
- सिर चकराना
- हाई ब्लड प्रेशर
- बेहोशी
- अचानक पसीना आना
- कंपकंपी छूटना
- सीने में दर्द
कार्डियोफोबिया का इलाज
कार्डियोफोबिया के इलाज के लिए आपको अच्छे साइकोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।
यदि आपको ऊपर दिए गए लक्षणों का अनुभव होता है तो सबसे पहले अपने दिल की जांच करवाएं क्योंकि इनमें से कई लक्षण असली हार्ट अटैक के भी हो सकते हैं। सारे टेस्ट्स करवाने के बावजूद भी अगर आपको दिल की बीमारी का डर सता रहा है तो डॉक्टर को इस बारे में बताएं।
कार्डियोफोबिया के इलाज के लिए आपको अच्छे साइकोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए। वहां आपकी थेरेपी या काउंसिलिंग की जाएगी। इसके साथ ही दिल की सेहत का पता लगाने के लिए साल में दो बार हार्ट चेकअप करवा सकते हैं।
फोबिया के मरीजों को घर पर ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन करने की सलाह दी जाती है। इससे आपका मन शांत होगा और एंग्जाइटी कम होगी।
(Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। बचाव के तरीके/ इलाज अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें।)