वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी से लोगों की सेहत को खतरा

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दिल्ली, ९ कार्तिक । राजधानी में लगातार बढ़ते प्रदूषण के बावजूद न केंद्र और न ही दिल्ली सरकार हालात को काबू करने की दिशा में कोई सार्थक पहल कर रही है। भलस्वा लैंडफिल साइट पर लगी आग को प्रदूषण की मुख्य वजह बताई जा रही है। वहीं राजपथ और आसपास के मंत्रालय के पास सड़क निर्माण के कारण हवा में धूलकणों की रोकने की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया।

आलम यह रहा कि गुरुवार को आसपास से गुजरने वाले वाहन अधिकतर वाहन चालक खांसते रहे। सफदरजंग अस्पताल के डॉ.जुगल किशोर के मुताबिक किसी भी तरह की लैंडफिल साइट इंसानों के लिए ठीक नहीं है। दिल्ली में साइट पर आग लगने और वायु प्रदूषण स्वास्थ्य पर दोहरी मार दे रहे हैं।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 331 पर रहा, जिसे सेहत के लिए बेहद खराब श्रेणी में रखा गया है। दिल्ली फायर सर्विस के अधिकारी के मुताबिक, भलस्वा लैंडफिल साइट पर लगी आग को बुझाने के लिए अग्निशमन वाहन लगातार भेजे गए। लेकिन, रुक-रुककर लग रही आग के कारण उस क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर फिर से खराब होने लगा।
सेहत को लेकर बढ़ी चिंता  
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का सर्वाधिक बुरा प्रभाव आम लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। अगर, हालात को नियंत्रित नहीं किया गया तो सेहत संबंधी परेशानियां और भी बढ़ेंगी। इससे खासकर बुुजुर्गों, बच्चों सहित तमाम दिल्ली वासियों की परेशानी दिवाली के दौरान और बढ़ सकती है। मैक्स अस्पताल के डॉ. विवेका कुमार ने बताया कि हवा में मौजूद प्रदूषित कण जब सांस के जरिये इंसान के शरीर में पहुंचते हैं तो वे रक्त के साथ मिश्रित होकर न सिर्फ उसे गाढ़ा बनाते हैं, बल्कि कॉरेनरी, आर्टरी ब्लॉकेज के साथ दिल की गति को प्रभावित भी करते हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों में खास तौर पर दिल्ली में दिल के मरीजों में आठ गुना तेजी से इजाफा हुआ है।

सूचकांक में बार बार हो रहा है बदलाव  
द्वारका में 355, सीरी फोर्ट 334, सीआरआरआई मथुरा रोड पर 233 जबकि मंदिर मार्ग पर सूचकांक 165 रिकॉर्ड किया गया। इस दौरान पीएम-10 और पीएम-2.5 के आंकड़े भी पहले की तुलना में अधिक रहे।

निर्माण पर सख्ती के दावे नाकाफी 
प्रदूषण रोकने के लिए एमसीडी सहित अन्य विभाग की ओर से निर्माण कार्य पर सख्ती करने के निर्देश दिए जाते रहे हैं। लेकिन राजपथ पर सड़क के निर्माण से आसपास हवा में भारी मात्रा में धूल कण वहां से गुजरने वालों के लिए परेशानी का सबब बन गया। विजिबलिटी भी कम रही।

गाजियाबाद की आबोहवा दो दिनों से रेड जोन में है

गाजियाबाद की आबोहवा लगातार दूसरे दिन भी रेड जोन में रही। हवा की गति बढ़ने से पीएम 2.5 में थोड़ा सुधार हुआ है, जबकि पीएम 10 में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। प्रदूषण के बढ़ रहे स्तर को कम करने के लिए प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। अधिकारिक सूत्रों की मानें तो यदि जल्द ही सुधार नहीं हुआ तो कंस्ट्रक्शन साइट और वायु प्रदूषण फैला रहे उद्योगों को कुछ दिन के लिए बंद करा दिया जाएगा।

दिल्ली-एनसीआर पिछलों 15 दिनों से वायु प्रदूषण की चपेट में है। एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 300 से ऊपर चल रहा है। बृहस्पतिवार को भी सबसे अधिक कानपुर का एक्यूआई 388 रहा। दिल्ली एनसीआर में दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद रेड जोन में रहे। इन जिलों की आबोहवा वेरी पूअर (रेड जोन) में है। खास बात यह है कि हवा में महीन कणों का स्तर पीएम 2.5 तेजी से बढ़ रहा है।

एक नजर सीपीसीबी के राष्ट्रीय एयर क्वालिटी इंडेक्स पर  
गुरुगाम            362
फरीदाबाद         358
दिल्ली               328
गाजियाबाद       321
नोएडा             316

गाजियाबाद में पीएम 10 और पीएम 2.5 की स्थिति  
पीएम 10               306 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (एवरेज)
पीएम 2.5              323  माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (एवरेज)

कचरा और पत्ते जलाने वालों का कटेगा चालान

प्रदूषण के बिगड़ते स्तर पर अंकुश लगाने के लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने सख्त रुख अख्तियार किया है। प्रतिबंध के बावजूद इलाके में कचरे और पत्ते जलाने वाले व्यक्ति का चालान काटा जाएगा। इसके लिए दक्षिणी निगम ने सभी जोन में टीमें गठित की है। यह टीम रात के वक्त गश्त करेगी। इतना नहीं सर्दियों के दौरान लकड़ी जलाकर हाथ सेंकने वाले लोगों के खिलाफ भी निगम कार्रवाई करेगा।

राजधानी में बढ़ते प्रदूषण की वजह से बच्चों, बुजुर्गों सहित दिल्ली वासियों की सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा है। इस दिशा में पहल करते हुए दक्षिणी निगम ने पत्ते और कचरा जलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए रात के समय गश्त (नाइट पेट्रोलिंग) का निर्णय लिया है। सफाई निरीक्षकों के नेतृत्व में छह कर्मचारियों की पांच-पांच टीमें हर जोन में गठित की गई हैं।

एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कचरा और पत्ते जलाने से निकलने वाले धुएं और इससे पैदा हुई राख से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। इससे लोगों को सांस लेने में भी कठिनाई होती है। नाइट पेट्रोलिंग से प्रदूषण के स्तर में काफी हद तक नियंत्रण संभव होगा।

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